धर्म संदेश
– कृपया निम्नलिखित को पढ़ें:
उत्पत्ति 1:1 | आदि में परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्टि की। |
रोमियो 3:23 | इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं। |
यूहन्ना 8:34 | यीशु ने उन को उत्तर दिया; मैं तुम से सच सच कहता हूं कि जो कोई पाप करता है, वह पाप का दास है। |
परमेश्वर ने हम सबों की सृष्टि की किन्तु हम उन्हें नहीं जानते और अपनी पापी प्रवृति के कारण हम उनसे अलग हो गए। बिना परमेश्वर के न तो हमारी जिन्दगी का कोई उद्देश्य है और न ही कोई अर्थ। हमारे पापों का फल (कीमत) मृत्यु है, आध्यात्मिक और शारीरिक दोनों। आध्यात्मिक मृत्यु का अर्थ है परमेश्वर से अलग हो जाना। शारीरिक मृत्यु है शरीर का नाश हो जाना। यदि हम पापों से मरते हैं, तो हम आंतरिक रूप से परमेश्वर से अलग हो जाते हैं और हमारा अंत नरक होता है। हम अपने आपको पापों से कैसे बचा सकते हैं और कैसे परमेश्वर की शरण में जा सकते हैं? हम अपने आपको नहीं बचा सकते हैं क्योंकि एक पापी आदमी के लिए अपने आप को बचाना संभव नहीं है(ठीक वैसे ही जैसे की एक डूबता हुआ आदमी अपने आपको नहीं बचा सकता)। हमें कोई भी नहीं बचा सकता क्योंकि सबके सब पापी हैं(एक डूबता हुआ आदमी दूसरे डूबते हुए को नहीं बचा सकता, दोनों को मदद की आवश्यकता होती है)। हमें एक ऐसे निष्पापी (डूबता हुआ नहीं) चाहिए जो हमें पापों से बचा सके। केवल निष्पापी आदमी ही हमें बचा सकता है। इस पापी दुनिया में हम वह निष्पापी आदमी कहाँ पा सकते हैं, जहाँ केवल पापी ही पापी है?
रोमियो 6:23 | क्योंकि पाप की मजदूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है |
यूहन्ना 3:16 | क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास करे, वह नाश न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए |
मत्ती 1:23 | कि, देखो एक कुंवारी गर्भवती होगी और एक पुत्र जनेगी और उसका नाम इम्मानुएल रखा जाएगा जिस का अर्थ यह है “ परमेश्वर हमारे साथ”। |
यूहन्ना 8:23 | उस ने उन से कहा, तुम नीचे के हो, मैं ऊपर का हूं; तुम संसार के हो, मैं संसार का नहीं। |
मरकुस 1:11 | और यह आकाशवाणी हई, कि तू मेरा प्रिय पुत्र है, तुझ से मैं प्रसन्न हूं॥ |
यूहन्ना 8:36 | सो यदि पुत्र तुम्हें स्वतंत्र करेगा, तो सचमुच तुम स्वतंत्र हो जाओगे। |
यूहन्ना 3:3 | यीशु ने उस को उत्तर दिया; कि मैं तुझ से सच सच कहता हूं, यदि कोई नये सिरे से न जन्मे तो परमेश्वर का राज्य देख नहीं सकता। |
यूहन्ना 1:12 | परन्तु जितनों ने उसे ग्रहण किया, उस ने उन्हें परमेश्वर के सन्तान होने का अधिकार दिया, अर्थात उन्हें जो उसके नाम पर विश्वास रखते हैं। |
परमेश्वर, जिसने हम सबों की सृष्टि की और बहुत अधिक प्यार करते हैं, हमें इसका समाधान दिया है। हम सबों से अपरिमित प्यार करते हुए उन्होंने अपनी संतान, यीशु, जो हमारे पापों के लिए मरा, उनको भेजा। यीशु निष्पाप हैं क्योंकि वह इस दुनिया से नहीं हैं, और जब धरती पर पापों के प्रति शैतान का प्रभाव बढ रहा था तब वो धरती पर आए। यीशु ने हमारे सभी पाप अपने ऊपर ले लिया और हमारे पापों के चलते वह सूली पर मर गए। वो हमारे जीवन के मुक्तिदाता हैं (यीशु हमें बचाने में सक्षम हैं क्योंकि वो डूबे हुए नहीं थे)। यीशु का सूली पर लटकने का उद्देश्य था, हमारे पापों का मूल्य चुकाना, हमारे पापों को अपने में समाहित करना और परमेश्वर से हमारे टूटे हुए रिश्ते को जोड़ना। परमेश्वर की शक्ति से हम आध्यात्मिक मृत्यु (परमेश्वर से अलगाव) से जीवित हो गए हैं। इस नए संबंध को पुनर्जन्म होना कहा जाता है। यह हम सबों की रचनात्मकता और अस्तित्व के उद्देश्य को पुनः प्राप्त करता है और हम सबों को जीवन का अर्थ और उद्देश्य प्रदान करता है।
यूहन्ना 11:25 | यीशु ने उस से कहा, पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूं, जो कोई मुझ पर विश्वास करता है वह यदि मर भी जाए, तौभी जीएगा। |
रोमियो 6:9 | क्योंकि यह जानते हैं, कि मसीह मरे हुओं में से जी उठकर फिर मरने का नहीं, उस पर फिर मृत्यु की प्रभुता नहीं होने की। |
प्रेरितों के काम 2:24 | परन्तु उसी को परमेश्वर ने मृत्यु के बन्धनों से छुड़ाकर जिलाया: क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता। |
रोमियो 14:9 | क्योंकि मसीह इसी लिये मरा और जी भी उठा कि वह मरे हुओं और जीवतों, दोनों का प्रभु हो। |
प्रेरितों के काम 1:11 | और कहने लगे; हे गलीली पुरूषों, तुम क्यों खड़े स्वर्ग की ओर देख रहे हो? यही यीशु, जो तुम्हारे पास से स्वर्ग पर उठा लिया गया है, जिस रीति से तुम ने उसे स्वर्ग को जाते देखा है उसी रीति से वह फिर आएगा॥ |
हमारे पापों के लिए यीशु का मरना, उनके इस बलिदान का कौन सा साक्ष्य है कि ईश्वर द्वारा स्वर्ग में स्वीकार किया गया? इसका साक्ष्य है, ईश्वर द्वारा यीशु को पुनर्जीवन प्रदान करना। इस पुनर्जीवन से यह सिद्ध हो जाता है कि यीशु ने मृत्यु पर विजय पा लिया था (दूसरे शब्दों में, मृत्यु उनसे अधिक शक्तिमान नहीं था)। अब चूँकि यीशु जीवित हैं, इसलिए हम सब भी जीवित हैं। उनका जीवन हमें जीवन प्रदान करता है। चूँकि वह पुनर्जीवित हो चुके हैं इसलिए वो आज भी जीवित है।
यूहन्ना 5:24 | मैं तुम से सच सच कहता हूं, जो मेरा वचन सुनकर मेरे भेजने वाले की प्रतीति करता है, अनन्त जीवन उसका है, और उस पर दंड की आज्ञा नहीं होती परन्तु वह मृत्यु से पार होकर जीवन में प्रवेश कर चुका है। |
यूहन्ना 10:9 | द्वार मैं हूं: यदि कोई मेरे द्वारा भीतर प्रवेश करे तो उद्धार पाएगा और भीतर बाहर आया जाया करेगा और चारा पाएगा। |
यूहन्ना 14:6 | यीशु ने उस से कहा, मार्ग और सच्चाई और जीवन मैं ही हूं; बिना मेरे द्वारा कोई पिता के पास नहीं पहुंच सकता। |
यूहन्ना 8:24 | इसलिये मैं ने तुम से कहा, कि तुम अपने पापों में मरोगे; क्योंकि यदि तुम विश्वास न करोगे कि मैं वहीं हूं, तो अपने पापों में मरोगे। |
प्रेरितों के काम 4:12 | और किसी दूसरे के द्वारा उद्धार नहीं; क्योंकि स्वर्ग के नीचे मनुष्यों में और कोई दूसरा नाम नहीं दिया गया, जिस के द्वारा हम उद्धार पा सकें॥ |
रोमियो 10:13 | क्योंकि जो कोई प्रभु का नाम लेगा, वह उद्धार पाएगा। |
रोमियो 10:11 | क्योंकि पवित्र शास्त्र यह कहता है कि जो कोई उस पर विश्वास करेगा, वह लज्जित न होगा। |
रोमियो 2:11 | क्योंकि परमेश्वर किसी का पक्ष नहीं करता। |
रोमियो 3:22 | अर्थात परमेश्वर की वह धामिर्कता, जो यीशु मसीह पर विश्वास करने से सब विश्वास करने वालों के लिये है; क्योंकि कुछ भेद नहीं। |
रोमियो 10:9 | कि यदि तू अपने मुंह से यीशु को प्रभु जानकर अंगीकार करे और अपने मन से विश्वास करे, कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा। |
हम कैसे अपने पापों को दूर कर सकते हैं और नयी जिंदगी प्राप्त कर सकते हैं? हमारे परमेश्वर और मुक्तिदाता के रूप में यीशु में विश्वास करने से। यदि हम पाप के मार्गों का प्रायश्चित करते हैं और यीशु को क्षमा करने कहते हैं, तो वह ऐसा कर सकते हैं। यीशु परमेश्वर की संतान हैं जो पृथ्वी पर आए और हमारे पापों के लिए मरा। इस पृथ्वी का कोई भी प्राणी जो उनमें विश्वास रखेगा उसे प्रभु क्षमा कर देंगे, उन्हें पापों (और नरक) से बचाएँगे और वह प्रभु द्वारा नयी जिन्दगी प्राप्त कर सकेगा। प्रभु पक्षपात नहीं करते। हम किस देश के रहने वाले हैं, कौन-सी भाषाएँ बोलते हैं, गरीब हैं या अमीर, पुरूष हैं या महिला, युवा हैं या बूढ़े या किसी भी प्रकार की शारीरिक भिन्नताएँ—इन सभ बातों से प्रभु प्रभावित नहीं होते। प्रत्येक व्यक्ति जो यीशु में विश्वास रखेगा और अपना पाप स्वीकार करेगा यीशु उनकी रक्षा करेगा। यदि आप यीशु के अनुयायी बनना चाहते हैं तो निम्नलिखित प्रार्थना कर सकते हैं:
हे स्वर्ग के देवता! आपको धन्यवाद है कि आपने अपनी एकमात्र संतान, यीशु को भेजा जो हमारे पापों के लिए मरा, जिससे मैं बच सका और स्वर्ग से हमें नयी जिन्दगी मिली। मैं अपने बुरे कर्मों के लिए प्रायश्चित करता हूँ और अपने पापों के लिए क्षमा माँगता हूँ। मैं यीशु में विश्वास रखता हूँ और उनको प्रभु और मुक्तिदाता के रूप में स्वीकार करता हूँ। मेरी मदद करो और मुझे निर्देश दो ताकि तूने जो मुझे यह नयी जिन्दगी दी है वह सुखद हो। आमीन।
जब आप ऊपर का यह प्रार्थना करें तो प्रभु से कहें कि वो आपको चर्च जाने का मार्ग दिखाएँ। लगातार प्रार्थना के दौरान प्रभु से बातें करें, प्रभु आपसे बातें करेंगे। प्रभु की आवाज सुने। प्रभु आपको निर्देश देंगे। वो आपसे प्यार करते हैं और आपकी रक्षा करेंगे। आप उनमें विश्वास कर सकते हैं। जो उनमें विश्वास करते हैं उनको वो कभी नहीं भूलते। प्रभु सर्वशक्तिमान हैं। उनपर विश्वास किया जा सकता है। आप अपनी जिन्दगी को उनके हवाले कर सकते हैं। अपनी आवश्यकताओं को आप उनके समक्ष रख सकते हैं। वह आपकी सुनेंगे और आप पर कृपा करेंगे। प्रभु कहते हैं, ‘मैं न तो तुम्हें कभी छोड़ूँगा और न ही भूलूँगा’ । प्रभु में विश्वास रखें। यीशु के द्वारा आपपर कृपा की जाएगी।
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